Friday, November 30, 2012

Yaad hai..

याद है..
गर्मियों के बाद बारिश में छत पे मज़े से नहाना,
पडोसी की छत पे जाके कूदना,
और उसके बहार आने से पहले अपनी छत पे वापस आना
याद है..
वो पडोसी से झूट बोलना
और उसके जाते ही जोर जोर से हँसना
बारिश में उसके बारे में बाते बनाना
याद है..
नहा के गरमा गरम चाय में रस डुबो के खाना
या फिर नमकीन की भरी मुट्ठी के बाद चुस्की मारना
चादर ले के फिर सो जाना
याद है..
बारिश की तरह क्यों नहीं पडोसी हर जगह होता
उस की छत क्यों नही हर जगह होति
चाय का मज़ा क्यों नहीं हर जगह होता
याद है..
Sunil Bhatt 2u

No comments:

Post a Comment