Saturday, December 1, 2012

चल मेरे मन ले चल मुझे

चल मेरे मन ले चल मुझे, जहाँ तू खुश रहे
तेरे तुफानो को राहत मिले, और तू मुक्कमल रहे

तेरी  पेशकदमी में हलचल हो, और वो शाम कहे
इधर किधर आए, क्यों आए, अब तक तुम कहाँ रहे

सुबह सी वो ताजगी हो, जो देखे देखता रहे
तेरी अंगड़ाई में मस्ती हो, और धुन्दली आंखे मिले 

ले चल जहाँ तू जो गरजे, तो गरजता ही रहे
बरसना भी चाहे तो, बरसता ही रहे

और जो तु उड़ना चाहे बादलों में, तो उड़ता ही रहे
या फिर अगर उड़ न पाए तो ऊँची छलांग लगाए

रह जाये फिर भी जो कुछ अरमान, वो न तेरे रस्ते में आए
और जो अगर आए, तो मिट्टी में चूर हो जाएँ

कल गर मैं भी जो ना रहूँ, राहों मैं तेरा साथ देने को
दुनिया को तू देखे मेरी आँखों से, और सराहे हर राही को

रे मन ले चल मुझे, ले चल जहाँ तू खुश रहे

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